- सार्वजनिक व्यय के नियम या सिद्धांत
- शशी अग्रवाल इकनोमिकस तथा ला क्लासेस
- PUBLIC
FINANCE
- सार्वजनिक व्यय के नियम या सिद्धांत
- सार्वजनिक व्यय
- सार्वजनिक
व्यय से उन सब खर्चों से है जो किसी
देश की केंद्रीय, राज्य तथा स्थानीय सरकारें अपने
प्रशासन ,समाजिक कल्याण तथा देश के आर्थिक
विकास के लिए करती है I
- भारतीय
अल्प विकसित देश के अंदर इसकी एक खास महत्वता है सरकार देश के अंदर विकास के
योजना बंद कार्यक्रम के लिए कार्यक्रम चलाती हैi
- 19वीं शताब्दी में सार्वजनिक व्यय सीमत था I
- 17 and 18 वीं सदी के अंदर
सार्वजनिक व्यय को पैसे की बर्बादी माना जाता था I
- Keynes आय वितरण को निर्धारित करने लिए
सार्वजनिक व्यय की भूमिका पर
- सार्वजनिक
व्यय सरकारी अधिकारियों द्वारा यह जाने वाला खर्च है जो आम लोगों को संतुष्ट
करने के लिए जो अपनी व्यक्तिगत क्षमता में लोगों को कुशलता में संतुष्ट करने
में असमर्थ हैi
- सार्वजनिक व्यय
- OBJECTIVE
OF PUBLIC EXPENDITURE
उदेश्य
- समाजिक और
आर्थिक कल्याण को अधिकतम करना
- अवसाद
ग्रस्त की प्रवृत्ति पर नियंत्रण
- आर्थिक
विकास में तेजी लाना
- आय का
वितरण
- CANONS OF
PUBLIC EXPENDITURE
सार्वजनिक व्यय के नियम या सिद्धांत - लाभ का सिद्धांत
- अन्य बातें
समान रहने पर सार्वजनिक व्यय इस ढंग से किया जाना चाहिए कि समाज को
महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त होI जिससे उत्पादन में वृद्धि हो, विदेशी आक्रमणों से सुरक्षा और आंतरिक अवस्था बनी रहे तथा आर्थिक
समानता हैi
- यह सभी
उद्देश्य तभी संभव हो सकते हैं जब सार्वजनिक व्यय वे किसी व्यक्ति या वर्ग के
लिए नहीं बल्कि सारे समाज के लिए किया जाएi
- सार्वजनिक व्यय का आय तथा धन के वितरण, उत्पादन आर्थिक विकास आदि पर
पड़ने वाले प्रभावों द्वारा उनके लाभ का अनुमान लगाया जा सकता हैi
- मितव्ययिता का सिद्धांत
- इसके सिद्धांत मुताबिक सरकार को केवल आवश्यक काम ऊपर ही धन खर्च करना चाहिए जिससे
किसी प्रकार का आर्थिक तथा सामाजिक लाभ प्राप्त है I
- ऐसी काम पर
खर्चा होना चाहिए जिससे देश की उत्पादन शक्ति के अंदर बढ़ोतरी होi इस बात का भी ध्यान रखना फिजूलखर्ची नहीं होनी चाहिए नहीं होनी चाहिए
I
- इसका उचित
उपयोग होना चाहिए खर्चा करते समय लागत लाभ सिद्धांत देखना चाहिए इसमें
सिद्धांत के मुताबिक जब हम किसी योजना पर
खर्चा करते हैं तो हमें लाभ कितना प्राप्त होता है I
- और इसका
क्यों उद्देश्य है केवल मितव्ययिता को प्रभावित करके नहीं बलिक आय में वृद्धि करके करदाता
के हितों की रक्षा करना हैi
- स्वीकृति का सिद्धांत
- स्वीकृति का सिद्धांत इसका मतलब है खर्चा
किया जाता है तो किसी अधिकारी से पूर्व स्वीकृति लेनी चाहिए I
- इसका एक
लाभ तो यह होता है जो खर्च की जाती है उसके महत्व की
उचित अधिकारियों के द्वारा पूरी जांच की होती हैi
- और दूसरा लाभ यह होता है समाजिक
धन का खर्च करते समय कोई अधिकारी अपनी मनमानी नहीं कर सकता I
- सरकारी
खर्चों की उचित auditing
ki व्यवस्था करना भी जरूरी हैi
- बचत का सिद्धांत
- बचत का
सिद्धांत : बचत का सिद्धांत एडम स्मिथ ने कहा कि जो सार्वजनिक खर्चा है उसका एक
यह भी है कि सार्वजनिक खर्चा आय से अधिक नहीं होना चाहिएi यदि एक बार सरकार आय से अधिक खर्च करने की छूट मिलेगी तो भविष्य में लापरवाही दिखा सकती
हैi इसलिए जहां तक संभव हो सके को आय से अधिक नहीं बढ़ने दिया जाना चाहिएi
- आधुनिक
अर्थशास्त्रियों एक सिद्धांत को सही नहीं मानते उनका यह मानना
है विकासशील देशों के अंदर सरकार को आर्थिक विकास करने के लिए आय से ज्यादा खर्चा करना पड़ता है i आय से से ज्यादा खर्चा करना पड़ता है इसके लिए घाटे की वित्त
व्यवस्था को अपनाना पड़ता है Keynes बहुत पक्ष में थे i
- परंतु घाटे
के बजट को भी एक सीमा तक ही बनाए रखना चाहिए नहीं तो किंतु में वृद्धि होने
लगती है
- CANONS OF
PUBLIC EXPENDITURE
सार्वजनिक व्यय के नियम या सिद्धांत - PROFESSOR :शिराज तथा कुछ अन्य
अर्थशास्त्रियों ने अर्थशास्त्रियों ने नए सिद्धांत दिए हैं
:
- लोच का सिद्धांत :
- इसका मतलब
है कि खर्चे को आवश्यकता अनुसार घटाया और बढ़ाया जा सकता है
- उत्पादकता
का सिद्धांत :
- देश के
अंदर उत्पादन के अंदर वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेI देश के अंदर पूंजी का निर्माण होI रोजगार में वृद्धि हो
- लोगों का जीवन स्तर अच्छा हो ,उत्पादन की भी अधिक से अधिक
वृद्धि हो
- न्याय पूर्ण वितरण
का सिद्धांत :
- इसका यह भी उद्देश्य है इसके द्वारा धन के समान वितरण के अंदर सहायता मिलनी
चाहिए I
- समाज के पिछड़े हुए लोगों को ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त है जैसे के गरीब
और पिछड़े लोगों के लिए निशुल्क शिक्षा ,चिकित्सा, मनोरंजन के कार्यों की व्यवस्था होनी चाहिए और ज्यादा से ज्यादा अधिक कल्याणकारी
काम होने चाहिएI
- निश्चिततI का सिद्धांत :
- सरकारी
खर्चा जिस क्षेत्र के अंदर तथा जिस भाग के अंदर किया जाना है वह निश्चित होना
चाहिए ताकि विकास का काम सही तरीके से किया जा सकेI
- सरकार को पहले बजट बनाना चाहिए और
सरकार को पता होना चाहिए कि कहां पर कितनी रकम और कितने समय में खर्च करना हैI
- तालमेल का सिद्धांत :
- केंद्रीय, राज्य तथा स्थानीय सरकारें सरकार कौन-कौन सी मद व्यय करेगी
- कुछ बातें जो ध्यान में रखें MISCELLANEOUS
- खर्चा करते
समय आपस में तुलना करनी चाहिए जो सबसे महत्वपूर्ण है और जरूरी है उस पर व्यय
करना चाहिए I
- व्यय करने की विधि को ध्यान में रखना चाहिएI
- वर्तमान प्रभाव को ही नहीं बल्कि
भविष्य अंदर पड़ने वाले प्रभाव को भी ध्यान करना चाहिए I
- देश की जनसंख्या क्षेत्रफल भौतिक साधनों आदि का भी ध्यान में रखना चाहिए
LINK FOR NATURE AND SCOPE OF PUBLICFINANCE IN HINDI
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