Wednesday, September 23, 2020

THEORY OF BIG PUSH :प्रबल प्रयास या बड़े धक्के का सिद्धांत


 

  • THEORY OF BIG PUSH
    प्रबल प्रयास या बड़े धक्के का सिद्धांत

  • विकास का अर्थशास्त्र
  • शशि अग्रवाल इकनोमिक तथा ला क्लासेस
  • DEVELOPMENT ECONOMICS
  • THEORY OF BIG PUSH
    प्रबल प्रयास या बड़े धक्के का सिद्धांत
  • प्रबल प्रयास या बड़े धक्के का सिद्धांत
  • इसके मुताबिक अल्पविकसित देश देश गरीब होते हैं उसका कारण उनकी अंदर निवेश अथवा पूंजी निर्माण की कमी होती हैI
  • इस कमीको दूर करने के लिए निवेश को प्राप्त मात्रा में करने के लिए अर्थशास्त्रियों ने अलग अलग सिद्धांत दिए हैंi
  •  इसके अंदर यह दो मुख्य सिद्धांत महत्वपूर्ण है:
  1. प्रबल प्रयास या बड़े धक्के का सिद्धांत ( BIG PUSH THEORY)
  2. आवश्यक न्यूनतम प्रयतन सिद्धांत  ( THEORY OF CRITICAL MINIMUM EFFORTS)

 

  • प्रबल प्रयास या बड़े धक्के का सिद्धांत
  1. प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ROSENSTEIN RODAN अपने लेख NOTES ON THE THEORY OF BIG PUSH में अल्पविकसित देशों के आर्थिक विकास तथा औद्योगिक करण के लिए प्रबल प्रयास के सिद्धांत का प्रतिपादन किया हैi
  2. इस सिद्धांत के मुताबिक अल्पविकसित देशों में श्रमिकों की शिक्षा का प्रबंध नहीं होता, पूरक उद्योगों की कमी पाई जाती है iआर्थिक संरचना या बाहरी बचें आदि की कमी पाई जाती है I
  3. व्यक्तिगत उद्यमी निवेश करना नहीं चाहता क्योंकि इसको इसके अंदर लाभ प्राप्त नहीं होताi इसलिए बड़े धक्के की जरूरत होती हैi यह काम सरकार ही कर सकती हैi
  4. जब सरकार एक साथ देश के अंदर श्रमिकों को शिक्षा देगी, करेगी पूरक उद्योगों की स्थापना करेगी तथा सामाजिक सद्भाव में निवेश करेगी समाजिक सुविधाएं निवेश करेगी I
  5. तभी देश के अंदर ऊंचे पैमाने के उद्योग स्थापित हो पाएंगे iउद्यमियों को निवेश के लिए प्रोत्साहन प्राप्त होगा तथा उद्योगों को बाहरी बचते प्राप्त होगी i इस प्रकार एक साथ बड़ी मात्रा में निवेश करने के सिद्धांत को बड़े धक्के का यह प्रबल प्रयास का सिद्धांत कहा जाता हैi
  6. इस बार के अनुसार एक विकास कार्यक्रम कम से कम एक न्यूनतम आकार का होना चाहिए जिससे अर्थव्यवस्था में indivisibilitiesतथा  discontinuities (उनिरंतरता )and diseconomies of scaleको कम किया जा सके I
  7. अल्प विकसित देशों का विकास करने के लिए  बड़े धक्के की जरूरत होती है
  • प्रबल प्रयास की आवश्यकता
  • उत्पादन फलन अथवा समाजिक ऊपरी पूंजी की पूर्ति की आविभाजित ( INDIVISISIBILITY IN THE PRODUCTION FUNCTION OR THE SUPPLY OF SOCIAL OVERHEAD COST) : अल्प विकसित देशों के अंदर उपभोक्ता तथा पूंजीगत पदार्थों के उद्योग स्थापित करने से पहले यातायात, शक्ति के साधन, संचार के निर्माण होने जरूरी हैI इनकी स्थापना पर बहुत ज्यादा मात्रा में निवेश करना पड़ता है Iएक न्यूनतम निवेश करना पड़ता हैI
  • उत्पादक चीजें रूप से उत्पादक निवेश करने से पहले इनमें काफी मात्रा में निवेश करना जरूरी हैi
  •  इनसे प्रयोग की जाने वाली मशीनों की तकनीकी तथा दूसरे कामों से काफी अधिक आयु होती हैi
  •  इस पूंजी की फलन अवधि ज्यादा होती है I
  • एक साथ कई प्रकार के कार्यों जैसे के सड़क बनाना र बनाना ,रेलवे शक्ति के साधन .सिंचाई व्यवस्था में निवेश करना पड़ता है इसके अंदर अन्य देशों का कुल निवेश का 30 से 40% निवेश करना पड़ता हैi

·         समाजिक ऊपरी पूंजी आविभाजित बाकी उद्योगों को बाहरी  बचते प्राप्त होती हैi

  • मांग की  अविभाजित ( INDIVISIBILITY OF DEMAND ) : इसका मतलब है अलग-अलग उद्योगों में निवेश DECISIONS के लिए में एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं तथा दूसरे अलग-अलग निवेश DECISIONS काफी अनिश्चित होते हैं क्योंकि अलग-अलग निवेश करने से वस्तु की पूर्ति तथा मांग बराबर ना होने का डर बना रहता हैI
  • उदाहरण
  • मान लो एक जूता फैक्ट्री खोली जाती है उसके अंदर सो बेरोजगार लोगों को रोजगार दिया जाता हैI अगर वह अपनी सारी इनकम जूते जूते खरीदने के ऊपर खर्च कर देते हैं तो जूता फैक्ट्री का सारा उत्पादन बिक जाएगा परंतु सारी इनकम इसके ऊपर खर्च नहीं करते, क्योंकि उन्होंने दूसरी वस्तुओं की खरीद होती है Iजिस वजह से जूता फैक्ट्री को नुकसान होता है उसकी पूर्ति ज्यादा होती है मांग कम होती है I
  • इसकी अगर 1000 मजदूर बेरोजगार हैं , 10 फैक्ट्री खोली किए जाएं तो मांग और पूर्ति बराबर हो सकते हैंI
  • बचत की पूर्ति में अविभाजित  ( INDIVISIBILITIES OF SUPPLY OF SAVINGS) : अल्प विकसित देशों के अंदर न्यूनतम ऊंची मात्रा में निवेश करने के लिए . ऊंची मात्रा में बचत की जरूरत होती है और इसके लिए अधिक आय की जरूरत होती हैI अल्प विकसित देशों में आय स्तर कम होता है Iसर काम होता है I आय के स्तर को बढ़ाने के लिए अधिक मात्रा में निवेश करना पड़ता हैI
  • निष्कर्ष  ( CONCLUSION)
  • सिद्धांत के अनुसार तीन प्रकार की अविभाजित के कारण अल्प विकसित देशों में एक साथ अधिक मात्रा में निवेश करना पड़ता है I
  • यह निवेश एक एक साथ कई पूरक उद्योगों की स्थापना, समाजिक समाजिक ऊपरी पूंजी के निर्माण तथा बचत की दर में वृद्धि करने के लिए जरूरी होता है I
  • जिसके कारण बाहरी बचते प्राप्त होती हैं ,उद्योगों में बढ़ती प्रतिफल का नियम लागू होता है और विकास की दर में वृद्धि होती हैI
  • बड़े धक्के के सिद्धांत का आधार
  • बड़े धक्के के सिद्धांत का आधार बड़े धक्के के सिद्धांत का आधार बाहरी बचते प्राप्त करने की संभावना है I
  • आर्थिक विकास के सिद्धांत के बाहरी बचते का अधिक महत्व
  • बाहरी बचते हैं जो किसी उद्योगों के विस्तार के कारण सभी FIRMS को को को को प्राप्त होती हैI
  • बड़े धक्के के सुधार की विशेषताएं
  • बड़े धक्के के सुधार की विशेषताएं
  1. बड़े पैमाने पर निवेश ( MASSIVE INVESTMENT)
  2. विभिन्न क्षेत्रों में निवेश (INVESTMENT IN DIFFERENT SECTORS)
  3. योजनाबद्ध तरीके से औद्योगिकरण ( PLANNED INDUSTRIALISATION)
  • आलोचना ( CRITICISM)
  • आव्यवहारिक ( IMPRACTICLE): बाहरी बचते तो विदेशी व्यापार के कारण भी हो सकती है, और जिसके लिए ज्यादा निवेश करने की जरूरत नहीं होतीI अल्प विकसित देशों के अंदर  निवेश की कमी होती है। उत्पादन में कम वृद्धि वृद्धि जो भारत से प्राप्त होती है बाहरी बचते नंबर से लागत को कम करती है परंतु उत्पादन में वृद्धि नहीं करतीI
  • कृषि क्षेत्र की अपेक्षा (NEGLECT OF AGRICULTUR) आर्थिक विकास औद्योगिक उन्नति के द्वारा ही हो सकता है कृषि के उन्नति से नहीं परंतु अल्प विकसित देशों के अंदर राष्ट्रीय आय  50%कृषि से प्राप्त होती है I
  • कम निवेश से अधिक उत्पादन :इस बात का कोई निश्चित प्रणाम नहीं है अल्प विकसित देशों में आर्थिक विकास के लिए निवेश के बड़े धक्के की जरूरत हैi
  • इतिहास facts ( not a  historical fact)
  • मुद्रास्फीतिकारक के अल्प विकसित देशों देशों के अंदर तथा पूंजी के निर्माण की कमी होती हैi निवेश की अवधि फलन ज्यादा होती है जिसके कारण मुद्रास्फीति हो सकती हैi

 LINK FOR LEWIS MODEL OF UNLIMITED SUPPLY

https://www.gargshashi.com/2020/09/LEWIS-THEORY-UNLIMTED-SUPPLY-LABOUR.html

 

No comments:

Post a Comment