- से का बाजार नियम
- समष्टि अर्थशास्त्र
( MACRO ECONOMICS )
- शशि अग्रवाल इकनोमिकस
तथा लो क्लासेस
- SHASHI AGGARWAL ECONOMICS AND LAW CLASSES
- से का
बाजार नियम
SAY’S LAW OF MARKET PART 1
- से का बाजार नियम
- मान्यताएं
- व्याख्या ( EXPLANATION)
- आधुनिक व्याख्या
MODERN STATEMENT OF SAY’S LAW OF MARKETS
- से का बाजार नियम
- से का बाजार इस नियम के मुताबिक पूर्ति अपनी मांग का खुद निर्माण करती हैi
- इसका मतलब है उत्पादक उत्पादक बाजार में अपने वस्तुओं का उत्पादन करता है इसलिए
करता है बदले वस्तुओं के बदले दूसरी वस्तुओं की मांग कर सकें I
- वस्तुओं का उत्पादन करता है उत्पादन के साधन मजदूरी, लगान, लाभ, ब्याज का भुगतान
करना पड़ता हैi
- जिस अनुपात में पूर्ति बढ़ती घटती है उसमें ही उत्पादन के साधनों की खरीदने
की शक्ति भी बढ़ती अथवा घटती है तथा इसमें मांग भी बढ़ सकती है, घट सकती है। इस प्रकार मांग और पूर्ति हमेशा एक दूसरे के के समान रहते हैंi
- परिभाषा
- J.B SAY,” उत्पादन ही वस्तु के लिए
बाजार का निर्माण करता हैi”
- ITS PRODUCTION CREATES MARKET FOR GOODS.
- पूर्ति अपनी मांग का का खुद निर्माण करती हैi
- J. B SAY ,” SUPPLY CREATES ITS OWN DEMAND”
- J.S MILL:
- CONSUMPTION COEXISTS WITH PRODUCTION.
- PRODUCTION IS THE SOLE CAUSE OF DEMAND. IT NEVER FURNISHES SUPPLY
WITHOUT FURNISHING DEMAND, BOTH AT THE SAME TIME AND TO AN EQUAL TO EXTENT.
- परिभाषा
- से का नियम
परंपरावादी अर्थशास्त्री की इस विचारधारा का प्रतीक है
लंबे समय में एक दूसरे के बराबर होते हैंi
- इसके कारण अति कारण उत्पादन
अर्थशास्त्री बेरोजगारी संभव नहीं होती संभव नहीं होतीi
- मान्यताएं
- पूर्ण प्रतियोगिता :बाजार में पूर्ण प्रतियोगिता पाई जाती है
- FLEXIBLE PRICES :लोचशील कीमती :इस नियम की एक मान्यता यह भी है कीमती मजदूरी तथा ब्याज की दर FLEXIBLE होनी चाहिए यदि मांग
पूर्ति से कम है तो कीमत कम हो जाती है तथा मांग पढ़कर पूर्ति के बराबर हो जाती है। यदि देश में बेरोजगारी है तो मजबूरी कम
हो जाती है रोजगार की मात्रा में बढ़ोतरी हो जाती है I यदि निवेश तथा बचत में संतुलन नहीं है तो ब्याज की तरह उसके अंदर इस तरह से
तब्दीली आ जाएगी जिससे संतुलन हो जाती है I
- मुद्रा केवल एक केवल आवरण ( MONEY A VEIL)
- NO HOARDING :सारी की सारी मुद्रा खर्च कर दी जाती है उस पर किसी भी प्रकार से जाता इकट्ठा
नहीं किया जाता
- इस मान्यता
पर आधारित है आर्थिक क्षेत्र में राज्य की ओर से किसी प्रकार की दखलंदाजी
नहीं होगी अर्थव्यवस्था में ऑटोमेटिक ADJUSTMENT हो जाता हैi
- बाजार का
आकार बड़ा है. T THE
LARGE EXTENT OF THE MARKET
- UNLIMITED OPPORTUNITIES FOR LABOUR AND CAPITAL: अर्थव्यवस्था में पूंजी कथा श्याम की श्याम की पूर्ति हमेशा लोचदार
होती हैi
- दीर्घ काल
में लागू होता हैi
- उत्पादकता उपभोक्ता की पसंद के
मुताबिक किया जाता हैi
- व्याख्या ( EXPLANATION)
- व्याख्या
दो प्रकार की स्थितियों में की जा सकती हैi
- वास्तु
विनिमय वस्तु विनिमय अर्थव्यवस्था लागू होता हैi प्रत्येक प्रति है उत्पादक जब वस्तुओं को बाजार में बेचने के लिए आता
है ,पूर्ति का निर्माण करता है
क्योंकि इसके बदले में उसे दूसरी वस्तुएं दूसरी प्राप्त है मांग का निर्माण
होता हैi
- मौद्रिक
अर्थव्यवस्था में से का नियम : मुद्रा के विनिमय का माध्यम का
काम करती है iजब एक उत्पादित अपने उत्पादन को sale है उसे मुद्रा प्राप्त होती iइस मुद्रा दूसरी वस्तुओं तथा
सेवाओं खरीदने में खर्च करता है ,इस पर का मांग का निर्माण होता है तथा वह पूर्ति के
बराबर हो जाती हैi
- WORKING
- SAY’S LAW AND MONETARY ECONOMICS
- मनुष्य अपनी अपनी आमदनी में से कुछ हिस्सा हो अपभोग पर खर्च कर देता है का
कुछ कुछ हिस्सा तथा बचाता है ,उसे LABOUR तथा उत्पादन के अन्य साधनों के खरीदने में खर्च कर देता हैI इस प्रकार मौद्रिक अर्थव्यवस्था में कुल पूर्ति हमेशा कुल मांग के बराबर होती हैi
- AD= C +I=AS
- आधुनिक व्याख्या
MODERN STATEMENT OF SAY’S LAW OF MARKETS - OSCAR LANG SAY’S LAW समरूपता (
IDENTITY) AND PROF PIGOU समानता ( EQUALITY
) के रूप में बताया हैi
- अर्थव्यवस्था
की वस्तुएं तथा सेवाओं की मात्रा को कुल मात्रा को कीमत के साथ गुणा करके
करके कुल मौद्रिक मांग का पता लगाया जा सकता है iइसी वस्तुएं तथा सेवाओं की मात्रा
कुल मौद्रिक पूर्ति को अनुमान लगाया जा सकता है
- ∑P1D1 ΞΞ ∑P1S1
- कुल मांग
हर एक अवस्था में पूर्ति के बराबर होती iलोग आमदन अपभोग पर खर्च कर देता है ,निवेश पर खर्च करेंगे आपको खर्च
करेंगेi
- MODERN
STATEMENT OF SAY’S LAW OF MARKET BY OSCAR LANG
- DIAGRAM
- FORMULATION OF SAY’S LAW BY PIGOU
- PROF PIGOU EXPLAINED SAY’S LAW का प्रतिपादन एक समानता के रूप
में किया जाता है
- समीकरण का
समानता वह समीकरण है जो ऐसे विकल्पों को प्रकट करता है जो कुछ शर्तों को पूरा करने की
अवस्था में एक दूसरे के बराबर होते हैंi say’s law का नियम पूर्ण रोजगार की अवस्था में ही लागू होता है I अल्पकाल में बेरोजगारी पर जा सकते
हैंi परंतु दीर्घकाल अगर बेरोजगारी होती है ,यदि तो मजदूरी की दर कम हो जाती
है जिसके कारण उसने ज्यादा मजदूरों की मांग करते हैं iअर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार की
स्थिति पैदा हो जाती है i
- ∑P1D1 = ∑P1S1
- FORMULATION OF SAY’S LAW BY PIGOU
- N = QY/ W
- QY : राष्ट्रीय आय का वह हिस्सा जो मजदूरी के रूप में दिया जाता है. COSNTANT
- W = WAGE RATE (मजदूरी)
- ,N IS THE LEVEL OF EMPLOYMENT रोजगार का सतर
- यदि
राष्ट्रीय आय का वह भाग जो मजदूरी के रूप में दिया जाता है constant रहता है तो मजदूरी दर एक कम होने
से रोजगार के सतर को बढ़ाया जा सकता है तथा पूर्ण रोजगार की स्थिति को
प्राप्त किया जा सकता हैi
Thanks
ReplyDeleteThanks
ReplyDeleteThanku so much ma'am
ReplyDeleteThank you
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