Wednesday, September 30, 2020

LEWIS THEORY UNLIMTED SUPPLY OF LABOUR IN HINDI/श्रम की असीमत पूर्ति लुईस का सिद्धांत

 

     LEWIS THEORY UNLIMTED SUPPLY OF LABOUR



श्रम की असीमत पूर्ति लुईस का सिद्धांत

     DEVELOPMENT ECONOMICS

     विकास अर्थशास्त्र

     लुईस सिद्धांत

     LEWIS HAS GIVEN THOERY IN ECONOMIC DEVELOPMENT WITH UNLIMITED SUPPLY

1.       अल्पविकसित देशों के अंदर ज्यादातर छिपी हुई बेरोजगारी पाई जाती है Iइसका मतलब काम को करने के लिए जितने लोग चाहिए होते हैं ,उससे ज्यादा लोग जो होते हैं काम पर लगे होते हैं उनमें से कुछ लोगों को काम से हटा दिया जाए तो कुल उत्पादन में कमी नहीं होतीI इस प्रकार इन श्रमिकों की सीमांत उत्पादकता जीरो होती हैi

2.       अल्प विकसित देशों के आर्थिक विकास के संबंध में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत सिद्धांत दिया है iइसके मुताबिक अल्प विकसित देश देश अपनी श्रम शक्ति का प्रयोग पूंजी निर्माण के लिए देशों आर्थिक विकास की गति को तेज कर सकते हैंi

 

 

3.       अल्प विकसित देशों में पूंजी की कमी पाई जाती है ज्यादातर निवेश की दर 5% से 10% होती है आर्थिक विकास के लिए कम से कम 15 से 20 तक होनी चाहिए iश्रम की पूर्ति होती है होती है i असीमत श्रम की पूर्ति का प्रयोग करके निवेश की दर में बढ़ोतरी की जा सकती हैi

 

     मान्यताएं
assumptions

1.       जनसंख्या बहुत ज्यादा होती है जिसके कारण छिपी हुई बेरोजगारी पाई जाती हैi सीमांत उत्पादकता जीरो होती है I

2.       जीवन निर्वाह मजदूरी मजदूरी की पूर्ति पूरी तरह से लोचदार होती है I

3.       अर्थव्यवस्था में दोहरा दोहरापन पाया जाता है पाया जाता हैi अर्थव्यवस्था में दो मुख्य क्षेत्र :होते पूंजी क्षेत्र तथा पिछड़ा प्राथमिक क्षेत्र

4.     पूंजीवाद पूंजीवाद क्षेत्र के अंदर मजदूरी की दर ज्यादा होती है तथा प्राथमिक क्षेत्र के अंदर मजदूरी की तरफ कम होती हैi यह जीवन निर्वाह के बराबर होती है

     विकास की प्रक्रिया ( process of growth)

     कई अल्प विकसित देशों देशों के अंदर असीमत श्रम की पूर्ति होती हैi

     जनसंख्या बहुत ज्यादा होती है बेरोजगारी , छिपी हुई बेरोजगारी पाई जाती हैi सीमांत उत्पादकता जीरो होती है I

     अर्थव्यवस्था में दोहरा दोहरापन पाया जाता है पाया जाता हैi अर्थव्यवस्था में दो मुख्य क्षेत्र :होते पूंजी क्षेत्र तथा पिछड़ा प्राथमिक क्षेत्र

     पूंजीवाद क्षेत्र में श्रमिकों की मजदूरी जीवन निर्वाह काफी अधिक होती हैi इसके अंदर उत्पादकता आय तथा पूंजी का सतर उच्चा होता है i प्राथमिक क्षेत्र के अंदर क्षेत्र के श्रमिकों को केवल इतनी मजदूरी प्राप्त होती है कि वह अपने जीवन का गुजारा कर सकेंi

 

     प्राथमिक क्षेत्र से को श्रमिकों को पूंजीवाद क्षेत्र में रोजगार दिया जाए , श्रमिकों को जो मजदूरी देनी पड़ती है जीवन निर्वाह से अधिक तथा पूंजीवाद मजदूरी में कुछ काम I उन्हें श्रमिकों को जो मजदूरी देनी पड़ती है वह सीमांत उत्पादकता की कम होती है I

     जिनके कारण उद्यमियों को अतिरिक्त लाभ प्राप्त होता है क्योंकि उन्हें श्रमिकों को जो मजदूरी देनी पड़ती है वह सीमांत उत्पादकता की कम होती है I  capitalistic surplus उद्यमी लाभ निवेश करेंगे जिसके कारण पूंजी निर्माण होगा iपूंजी निर्माण के आर्थिक विकास की कब तक चलती रहेगी जब तक श्रमिकों पूंजीवादी मजदूरी का पूंजीवाद मजदूरी से कम काम करते हैं i

     पूंजीवाद मजदूरी कितनी है मांग करते हैं तो उद्यमियों का अतिरिक्त लाभ खत्म हो जाएगा हैं iउद्यमियों का और जिससे पूंजी निर्माण नहीं हो सकता i आर्थिक विकास की प्रक्रिया का अंत हो जाएगा

      

      LEWIS खुली अर्थव्यवस्था का सुझाव दिया है जब देश के अंदर आर्थिक विकास की प्रक्रिया का काम की प्रक्रिया का अंत हो जाता है तो उस देश के पास देश के उद्यमियों के पास 2 उपाय होते हैं

     पहला तो यह उन्हें दूसरे अन्य देशों के अंदर बड़े पैमाने पर श्रमिकों का माइग्रेशन करना चाहिए यह श्रमिक पूंजीवादी मजदूरी से कम दर पर काम करने को तैयार हो जाएंगे iइस प्रकार उद्यमियों को ज्यादा लाभ मिलेगा और वह ज्यादा निवेश कर पाएंगेi

     दूसरा अन्य देशों के अंदर पूंजी का निर्यात किया जाए इससे क्या होगा देश के अंदर निवेश कम हो जाएगा देश के अंदर निवेश कम हो जाने से श्रमिकों की मांग मांग कम हो जाती है तथा वह कब दूरी पर काम करने को तैयार हो जाते हैं I

     Lewis का यही मानना है विकास की प्रक्रिया बैंकों द्वारा की जाने वाली साख से ही शुरू की जा सकती है iबैंक साख से शुरू के अंदर मुद्रास्फीति हो सकती है परंतु जब उत्पादन में वृद्धि हो जाती है तो कीमतों में होने वाली वृद्धि खत्म हो जाती हैi और आर्थिक विकास तेज हो जाता हैi

     विशेषताएं features

     MOBILISATION OF LABOUR :

     श्रमिकों को पूंजीवाद क्षेत्र में रोजगार दिया जाए I जहां पर छिपी हुई बेरोजगारी पाई जाए छुपी हुई पाई जाती है i

     महिला श्रमिकों पूंजीवाद शेत्र में रोजगार देना चाहिए I

     देश के अंदर जब जनसंख्या बढ़ती है, तो श्रम शक्ति के अंदर वृद्धि होती है उसे पूंजीवाद क्षेत्र के अंदर रोजगार देना चाहिएi

      unskilled श्रमिक शामिल होते हैं i इनको प्रशिक्षण देना चाहिए ताकि ये कुशलता हासिल कर सकें i

     CAPITALISTIC SURPLUS

               अल्पविकसित अर्थव्यवस्था में जब अंदर पूंजीवाद क्षेत्र के अंदर निवेश करते हैं तो श्रमिकों की की मांग बढ़ जाती है iपूंजीवाद क्षेत्र के अंदर जीवन निर्वाह पूर्ति श्रमिकों की पूर्ति होने लगती है iजीवन निर्वाह के अंदर केवल जीवन निर्वाह मजदूरी प्राप्त होती हैi जो औसत निकाल उत्पाद से बराबर होती हैi

                जीवन निर्वाह क्षेत्र के अंदर श्रमिकों के चले जाने पर कुल उत्पादन में कोई कमी नहीं होती है जिसके कारण rest श्रमिकों की और उत्पादकता बढ़ जाती है iजिसके कारण उनकी वास्तविक आय बढ़ जाती हैi इसलिए वह जीवन जीवन निर्वाह क्षेत्र अधिक मजदूरी मजदूरी की मांग करते हैं।

               पूंजीवाद का विकास होने के कारण प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादकता भी बढ़ जाती हैiइसलिए श्रमिक अधिक मजदूरी की मांग करते हैं

                                          


 

     व्याख्या

     मजदूरों की AM,CN AND EP सीमांत उत्पादकता रेखाएं हैंI

      जब OM श्रमिकों को रोजगार पर लगाया जाता है तो OWBM पूंजीवादी मजदूरी देनी पड़ती हैI

     CAPITALISTICPROFIT OABM-OWBM= WAB

     WAB निवेश करते हैं जिससे अचल पूंजी के अंदर वृद्धि होती है I

     सीमांत उत्पादकता CDN बढ़कर हो जाती है जिसके कारण श्रमिकों कारण मांग बढ़ जाती हैI

     जिससे उद्यमियों को लाभ प्राप्त WEF होता है इस प्रकार आर्थिक विकास की क्रिया चलती रहेगीI

     CAPITAL FORMATION THROUGH BANK CREDIT :LEWIS का यही मानना है विकास की प्रक्रिया बैंकों द्वारा की जाने वाली साख से ही शुरू की जा सकती है iबैंक साख से शुरू के अंदर मुद्रास्फीति हो सकती है परंतु जब उत्पादन में वृद्धि हो जाती है तो कीमतों में होने वाली वृद्धि खत्म हो जाती हैi और आर्थिक विकास तेज हो जाता हैi

     विकास प्रक्रिया का अंत  :अनिश्चित काल तक नहीं चल सकती क्योंकि :

      बेरोजगारी खत्म हो जाने पर श्रमिकों की मांग बढ़ जाती है तो मजदूरी की दर बढ़ जाती हैi

      जीवन निर्वाह क्षेत्र के अंदर जनसंख्या का दबाव कम होने के कारण मजदूरी की दर बढ़कर पूंजीवाद के बराबर हो जाती है तो पूंजीवाद profit नहीं प्राप्त होता जिसके कारण निवेश नहीं हो पाता i जीवन निर्वाह क्षेत्र  के अंदर उत्पादन की नई तकनीक अपनाने के कारण मजदूरी की मांग बढ़ जाती है

     जीवन निर्वाह क्षेत्र  के अंदर उत्पादन की नई तकनीक अपनाने के कारण मजदूरी की मांग बढ़ जाती हैi

     पूंजीवाद क्षेत्र के अंदर तेजी तेज गति से विकास होने के कारण के अनाज की कीमत बढ़ जाती हैi

     पूंजीवाद क्षेत्र के अंदर श्रमिक संगठनों के कारण मजदूरी की दर में वृद्धि करनी पड़ती है

 

     LEWIS खुली अर्थव्यवस्था का सुझाव दिया है जब देश के अंदर आर्थिक विकास की प्रक्रिया का काम की प्रक्रिया का अंत हो जाता है तो उस देश के पास देश के उद्यमियों के पास 2 उपाय होते हैं

     पहला तो यह उन्हें दूसरे अन्य देशों के अंदर बड़े पैमाने पर श्रमिकों का माइग्रेशन करना चाहिए यह श्रमिक पूंजीवादी मजदूरी से कम दर पर काम करने को तैयार हो जाएंगे iइस प्रकार उद्यमियों को ज्यादा लाभ मिलेगा और वह ज्यादा निवेश कर पाएंगेi

     दूसरा अन्य देशों के अंदर पूंजी का निर्यात किया जाए इससे क्या होगा देश के अंदर निवेश कम हो जाएगा देश के अंदर निवेश कम हो जाने से श्रमिकों की मांग मांग कम हो जाती है तथा वह कब दूरी पर काम करने को तैयार हो जाते हैं I

 

     CRITICISM
आलोचना

1.       Limited scope

2.       श्रम की गतिशीलता आसान नहीं होती

3.       कुशल श्रमिकों की कमी

4.       उद्यमियों का अभाव

5.       का निवेश multiplier ना होना

6.       सीमांत उत्पादकता जीरो नहीं होती

7.       धन की असमानता

8.       मुद्रास्फीति खुद विनाशक नहीं होती

9.       कुल मांग की अवहेलना

10.   पूंजीवाद क्षेत्र द्वारा ही बचत नहीं होती

LINK FOR WRITTEN NOTE ON BIG PUSH THEORY IN HINDI

https://www.gargshashi.com/2020/09/THEORY-BIG-PUSH.html

 

 

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