• LAW OF EQUIMARGINAL UTILITY
सम सीमांत उपयोगिता
SHASHI AGGARWAL ECONOMICS AND LAW CLASSES
• सम सीमांत उपयोगिता
( LAW OF EQUIMARGINAL UTILITY)
• इस नियम के अनुसार उपभोक्ता अपनी LIMITED आय को खर्च करते अधिकतम संतुष्टि प्राप्त कर सकता है Iइसकी व्याख्या GOSSEN ने की है .इसे SECOND LAW OF GOSSEN कहा जाता है। डॉक्टर मार्शल इस नियम को सम सीमांत उपयोगिता नियम कहां हैI इस नियम के अनुसार एक उपभोक्ता को को अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करने के लिए विभिन्न वस्तुओं पर अपनी LIMITED आय इस प्रकार खर्च करनी चाहिए, एक वस्तु पर खर्च किए जाने वाले अंतिम रुपए से मिलने वाली सीमांत उपयोगिता बराबर होI
•
सम सीमांत उपयोगिता
( LAW OF EQUIMARGINAL UTILITY)
1.
.इसे SECOND LAW OF GOSSEN कहा जाता है।
2.
LEFTWITCH
: THE GENERAL PRINCIPLE FOR MAXIMISATION OF CONSUMER’S SATISFACTION
3.
LAW
OF MAXIMUM SATISFACTION
4.
LAW
OF RATIONAL CONSUMER PROF HIBDON
5.
LORE
DOBINS : LAW OF ECONOMICS
•
DEFINITION
•
DR
MARSHALL,”यदि किसी व्यक्ति के
पास ऐसी वस्तु है जिसे वह विभिन्न प्रकार से प्रयोग कर सकता है तो वह इसका अनेक
प्रयोगों में इस प्रकार वितरण करेगा इसके सीमांत उपयोगिता प्रत्येक प्रयोग में
समान हो।
•
DR
MARSHALL,”IF A PERSON HAS A THING WHICH HE CAN PUT TO SEVERAL USES HE WILL
DISTRIBUTE IT AMONG THESE USES IN SUCH A WAY THAT IT HAS THE SAME MARGINAL
UTILITY IN ALL.
•
•
DEFINITION
•
प्रोफेसर सैमुअल्सन के एक उपभोक्ता
में अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करता है जब सब वस्तुओं के सीमांत उपयोगिता तथा कीमत
का अनुपात बराबर होता है
•
MU1/P1 =MU2/P2= MU3/P3
•
MU1 =MU2= MU3
•
MODERN ECONOMIST ALSO CALL IT AS “ LAW OF PROPORTIONALITY". ACCORDING
TO THEM A PERSON GETS MAXIMUM SATISFACTION WHEN THE WEIGHED UTILITIES ARE
EQUAL. IN OTHER WORDS, WHEN THE MARGINAL UTILITY OF ONE COMMODITY DIVIDED BY
ITS PRICE AND MARGINAL UTILITY OF THE OTHER COMMODITY DIVIDED BY ITS PRICE ARE
EQUAL.
•
(MU OF GOOD A)/PRICE OF A = ( MU OF GOOD B)/PRICE OF
B=
•
=MU OF GOOD C/PRICE OF C -------AND SO ON
•
ASSUMPTIONS (मान्यताएं)
1.
उपयोगिता को गणना संख्या में मापा जा सकता है उपभोक्ता विवेकशील है
2.
वस्तुओं को छोटी-छोटी इकाइयों में बांटा जा सकता हैI
3.
वस्तुओं को PRICE CONSTANT
4.
मुद्रा के सीमांत उपयोगिता CONSTATNT
5.
उपभोक्ता का उपभोग काल निश्चित है
6.
उपभोक्ता की आय CONSTANT
7.
उपभोक्ता विवेकशील है वह अपनी आय से अधिक संतुष्टि प्राप्त करना चाहता
•
व्याख्या
( EXPLANATION )
•
व्याख्या
( EXPLANATION)
•
मान लीजिए उपभोक्ता को अपनी आमदन को एक-एक रुपैया करके खर्च करता है I आम के पहले रुपए से उसे 12 इकाइयां सीमांत
उपयोगिता प्राप्त होती है/ संतरे पर खर्च किए गए पहले रुपए से 10
इकाइयां सीमांत उपयोगिता प्राप्त होती है Iपहला रुपैया वह आम ऊपर खर्च करेगा दूसरा एक संतरे पर तथा तीसरा आम पर खर्च
करेगा अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता अपनी ₹5 की आए थे ₹3 पर आम तथा संतरे पर पर ₹2 खर्च करेगा
•
TOTAL UTILITY=12+10+10+8+8=48
•
12+10+8++6+10=46
•
LAW OF EQUIMARGINAL UTILITY
• D
•
आधुनिक व्याख्या
•
प्रोफेसर सैमुअल्सन के एक उपभोक्ता में अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करता है
जब सब वस्तुओं के सीमांत उपयोगिता तथा कीमत का अनुपात बराबर होता है
• MU1/P1 =MU2/P2=
MU3/P3
•
MU1 =MU2= MU3
•
आलोचनाएं ( CRITICISM)
1.
उपभोक्ता पूरी तरह से नहीं होते विवेकशील नहीं होते I
2.
वस्तुओं की कमी होना I
3.
उपयोगिता को मापा नहीं जा सकता नहीं जा सकता। ( CARDINAL MEASUREMENT OF UTILITY IS NOT
POSSIBLE)
4.
मुद्रा की सीमांत उपयोगिता सीमांत उपयोगिता CONSTANT नहीं रहतीI
5.
प्रत्येक वस्तु एक स्वतंत्र वस्तु नहीं हैI
6.
पूरक वस्तुएं लागू नहीं होता I
7.
अनिश्चित बजट कIल
8. आलोचनाएं ( CRITICISM)
9.
उपयोगिता को मापा नहीं जा सकता नहीं जा सकता। ( CARDINAL MEASUREMENT OF UTILITY IS NOT
POSSIBLE)
10.
मुद्रा की सीमांत उपयोगिता सीमांत उपयोगिता CONSTANT नहीं रहतीI प्रत्येक वस्तु प्रत्येक प्रत्येक वस्तु एक स्वतंत्र वस्तु नहीं
हैI
11.
सीमांत उपयोगिता का अनुमान सभी अवस्था में नहीं लगाया जा सकताI परंतु वास्तविक जीवन में ऐसी कई वस्तुएं
जीवन में जीवन में वास्तविक जीवन में कई वस्तुएं जीवन में कई वस्तुएं अविभाजित
होती है
12.
अवास्तविक मान्यताएं :कई यह नियम कई अवास्तविक मान्यताएं पर आधारित है यह तभी लागू होता है जब होता कि रुचि. INCOME,फैशन आए एक जैसे रहते हैं परंतु वास्तविक जीवन में इनमें
परिवर्तन आ जाता है
LINK FOR OTHER NOTES https://www.gargshashi.com/2019/11/utility-analysis-part-1-in-hindi.html
UTILITY ANALYSIS : CONSUMER EQUILIBRIUM
https://www.gargshashi.com/2020/09/CONSUMER%20-EQUILIBRIUM-HINDI.html
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