आधारभूत धारणाएं अर्थशास्त्र में अर्थशास्त्र में कई शब्दों जैसे आर्थिक
क्रियाएं पदार्थ धन उपयोगिता,मूल्य आदि का प्रयोग
विशेष अर्थों में किया जाता है Iयह शब्द
अर्थशास्त्र की आधारभूत धाराएं है। अर्थशास्त्र में प्रयोग किए जाने वाले कुछ
महत्वपूर्ण आधारभूत आधारभूत धरने नीचे लिखी है:
मानवीय आवश्यकताएं
हम अपने जीवन में बहुत सी वस्तुओं को प्राप्त करना चाहते हैंIजिनका हमारे
जीवन में अभाव है Iपरंतु हम
केवल उन्हीं वस्तुओं को प्राप्त कर सकते हैं जिन्हें खरीदने के लिए हमारे पास
धनी होता है Iअर्थशास्त्र में आपकी किसी चीज को प्राप्त करने की कामना को इच्छा कहा
जाता हैI इसे पूरा
करने की आप में योगिता नहीं है इसके विपरीत विपरीत जिन इच्छाओं को पूरा करने
के लिए हमारे पास धन है आवश्यकताएं कहा जाएगा। आवश्यकता वह इच्छा है जिसे
पूरा करने की मनुष्य में शक्ति होती है जिसे पूरा करने के लिए वह तैयार रहता
है
DEFINITION AND ELEMENTS OF WANTS
आवश्यकता किसी विशेष किसी वस्तु के लिए
प्रभावपूर्ण इच्छा है जो खुद को उस वस्तु को प्राप्त करने के लिए कोशिश अथवा
त्याग के रूप में व्यक्त करता है
PROF PENSON,” WANT IS EFFECTIVE DESIRE FOR PARTICUALR THINGS WHICH
EXPRESSES ITSELF IN THE EFFORTS OR SACRIFICE NECESSARY TO OBTAIN THEM.
आवश्यकता के चारमुख्य तत्व है:
किसी वस्तु
का अभाव
अभाव को
प्राप्त करने की इच्छा
इच्छा को
पूरा करने के लिए सफिशिएंट ( SUFFICIENT ) धन
इच्छा को पूरा करने के लिए धन खर्च करने के लिए तैयार रहना।
इच्छा आवश्यकता तथा मांग में अंतर
DIFFERENCE BETWEEN DESIRE,WANT AND DEMAND
साधारण बोलचाल की भाषा में इच्छा आवश्यकता तथा मांग शब्दों का प्रयोग एक
दूसरे के लिए समान रूप से किया जाता हैIपरंतु परंतु
अर्थशास्त्र में इन तीनों के अलग-अलग अर्थ होते हैं
DESIRE:इच्छा किसी
आर्थिक पदार्थ की हो कामना जिसे पूरा करने के लिए मनुष्य के पास धन नहीं
होता।
WANT :आवश्यकता
किसी आर्थिक पदार्थ की हो इच्छा जिसे पूरा करने के लिए मनुष्य के पास धन होता
हैIआवश्यकता केवल वही इच्छा है जिसे पूरा करने की हमारे पास शक्ति होती है।
आवश्यकता प्रभावपूर्ण इच्छा है।
DEMAND
:मांग इस यात्रा की आर्थिक पदार्थ की मात्रा जो मनुष्य जो मनुष्य एक
निश्चित कीमत पर खरीदता है।
मांग का संबंध हमेशा एक निश्चित कीमत से होता है
आवश्यकताओं की विशेषताएं तथा उन पर आधारित नियम (FEATURES OF WANTS AND LAWS BASED ON THEM )
आवश्यकताएं असीमित होती हैं ( WANTS ARE UNLIMITED)मनुष्य की
आवश्यकताएं असीमित होती हैIइसकी कोई
सीमा नहीं होती Iएक आवश्यकता
पूरी होती है तो दूसरी आवश्यकता उत्पन्न हो जाती Iतरक्की का नियम ( LAW OF PROGRESS)निर्भर करता
है।
प्रत्येक विशेष आवश्यकता को संतुष्ट किया जा सकता है ( EACH PARTICULAR WANT CAN BE SATISFIED):प्रत्येक आवश्यकता की
एक सीमा होती हैIइसका मतलब
है जब हम एक विशेष आवश्यकता को पूरा करने के लिए पदार्थों का उपयोग करते हैं ,उस आवश्यकता की तीव्रता कम हो जाती है Iएक सीमा आ जाती है
जब आवश्यकता पूर्ण रूप से संतुष्ट हो जाती है आधारित नियम अवश्य की इस
विशेषता पर घटती सीमांत उपयोगिता का नियम तथा LAW OF DEAMANDका नियमहै I
आवश्यकताएं प्रतियोगी होती हैं ( WANTS ARE COMPETITIVE) :-मनुष्य की
आवश्यकताएं असीमित होती है परंतु उन्हें पूरा करने वाले साधन स सीमित होते
हैं Iहम अपनी सभी आवश्यकताओं को एक साथ संतुष्ट नहीं कर सकते Iहमें चुनाव करना पड़ता है :कौन सी
आवश्यकता को पहले पूरा करना है और कौन सी आवश्यकता को बाद में पूरा करना है Iइस विशेषता
पर LAW OF EQUIMARGINAL UTILITYका नियम
निर्भर करता है
कुछ आवश्यकताएं पूरक होती है ( WANTS ARE COMPETITIVE):कुछ
आवश्यकताएं दूसरी वस्तुओं की आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए जरूरी होती हैं Iजैसे स्कूटर
चलाने के लिए पेट्रोल की जरूरत होती है गैस चलाने के लिए माचिस की ज़रूरत
होती है। आधारित नियम इस विशेषता पर संयुक्त मांग ( JOINT DEMAND)तथा है THEORY OF INTER RELATION VALUE)
आवश्यकताएं वैकल्पिक होती हैं ( SOME WANTS ARE ALTERNATIVES) :-वैकल्पिक
आवश्यकता जिन्हें संतुष्ट करने के लिए कई विकल्प होते हैं Iपदार्थ नियम आधारित नियम सामूहिक पूर्ति का सिद्धांत आधारित है ( COMPOSITE SUPLY)
आवश्यकताओं की तीव्रता विभिन्न होती है ( WANTS
DIFFER IN URGENCY)कुछ
आवश्यकताएं अधिक जरूरी होती हैं सब आवश्यकताएं एक समान तीव्र नहीं होती। कुछ
आवश्यकताएं अधिक तीव्र होती हैं इसके बेसिस पर आधारित नियम मांग की लोच अब तक
की बचत उपभोक्ता की बचतऔर होती है I
वर्तमान की आवश्यकता भविष्य की आवश्यकता से ज्यादा
तीव्र होती है ( PRESENT WANTS ARE MORE IMPORTANT THAN FUTURE
WANTS):इसका कारण
है वर्तमान निश्चित है जब के जब के भविष्य अनिश्चित हैIइस विशेषता
पर ब्याज का व्याज का सिद्धांत किस विशेषता पर आधारित है
कुछ आवश्यकता है बार-बार उत्पन्न होती हैं ( SOME WANTS ARE RECURRING)अब तक की इस विशेषता पर उत्पादन की निरंतरता निर्भर करती है। आर्थिक
नियोजन में ऐसी वस्तुओं के उत्पादन को ज्यादा महत्व दिया जाता है जिसकी जरूरत
बार-बार महसूस होती है I कुछ CONTINUITY OF PRODUCTION
आवश्यकताएं आदत बन जाती हैं ( SOME WANTS BECOME HABITS):-जब हम किसी
वस्तु का बार सेवन करते
हैं तो हमें उसकी आदत पड़ जाती हैIअब तो की इस
विशेषता STANDARD OF LIVING.THEORY OF WAGES)
कुछ आवश्यकताएं प्रतियोगिता पूरक दोनों होती है :जैसे मशीन
और मजदूर की मांग मांग एक दूसरे की पूरक तथा प्रयोगी होती है
आवश्यकता की इस विशेषता पर सरकार की रोजगार नीति.उद्योग नीति
तथा मजदूर संगठन तथा मालिकों की सौदेबाजी निर्भर करती है।
आवश्यकताएं विज्ञान तथा सभ्यता के विकास को बढ़ाती हैं विज्ञान तथा
सभ्यता के विकास के कारण आवश्यकताओं में वृद्धि होती है और इसके ऊपर दिया
आर्थिक विकास का सिद्धांत AND THEORY OF LABOURERS
आवश्यकता पर आशाओं पर रिती रिवाज फैशन तथा आय का प्रभाव पड़ता है
आवश्यकताएं विज्ञापन तथा विक्रय कला से प्रभावित होती हैं इसमें अधिनियम
अपूर्ण प्रतियोगिता में विक्रय लागतो
आवश्यकताएं पर मौसम तथा था का प्रभाव पड़ता है
इस विशेषता के आधार पर उत्पादक यह निर्णय लेते हैं कौन सी वस्तु कब पैदा करनी
है करनी है
आवश्यकता आविष्कार की जननी है और इसकी विशेषता
पर आर्थिक उन्नति निर्भर करती है इस पर आर्थिक तरक्की आवश्यकताओं के चक्कर को
पूरा करने से ही हो सकती है
आवश्यकताएं अचेतन होती हैं मनुष्य की
कुछ आवश्यकताएं ऐसी होती हैं जो उसके दिमाग में घूमती रहती हैं लेकिन पर किस
रूप से उसका ज्ञान नहीं होता आवश्यकता की इस विशेषता पर में उपभोग तथा बचत के
संबंध में उपभोग तथा बचत के संबंध में हमारा निर्णय निर्भर करता है Iजब आवश्यकता चेतन हो जाती है तो उसे हम अपनी बचत के द्वारा संतुष्ट करते
हैं
EXCEPTION अपवाद
WANTS OF SAINTS:साधु की आवश्यकताएं असीमत
नहीं होती थोड़ी होती है जिन्हें वह आसानी से पूरा कर लेते हैं।
WANT OF MISERS(क कंजूस व्यक्तियों की
आवश्यकताएं):कंजूस
व्यक्ति की धन की आवश्यकता कभी पूरी नहीं होतीIइसलिए
ज्यादा से ज्यादा धन प्राप्त करना चाहते हैं। परंतु यह बात ठीक नहीं है उस
व्यक्ति सुधारण व्यक्ति नहीं होता इसलिए उसका अध्ययन नहीं किया जाता I
दिखावटी आवश्यकता :आवश्यकता पर
यह लागू नहीं होता जो लोग अपनी शान शौकत का प्रदर्शन करना चाहते हैं वह हमेशा
कोशिश करते हैं अपने धन हीरे जवाहरात तथा कीमती वस्तुओं को हमेशा दिखाते रहते
हैं Iयह अपवाद भी उचित नहीं है क्योंकि यदि एक ही वस्तु का बार-बार प्रदर्शन
किया जाएगा तो उसका कोई महत्व नहीं रह जाताI
शक्ति प्रदर्शन की आवश्यकता : शक्ति प्रदर्शन की आवश्यकता
पर लागू नहीं होता Iशक्ति के
नशे में रहने वाले व्यक्ति को सुधारण व्यक्तिनहीं कहा जाता इसलिए अर्थशास्त्र में इन व्यक्तियों का अध्ययन नहीं किया
जाताI
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